भारतीय इतिहास में 1857 के विद्रोह का अत्यधिक महत्त्व है. लेकिन, इस विद्रोह के बहुत पहले भारत के देसी राज्यों में अंग्रेजों के विरुद्ध कई विद्रोह हुए. इन विद्रोहों की अक्सर चर्चा नहीं होती है. मार्च 1817 के घूमसुर और पाइकों (पदातिक सेना) ने मिलकर अंग्रेजों को बड़ा नुकसान पहुंचाया. तीन-चार महीनों तक लड़ाई इतनी तेज़ रही कि अंग्रेज पिछड़ने जैसे लगे. ऐसा लगा कि खुर्धा के लोग अंग्रेजों को ओडिशा से भगा देंगे. लेकिन ऐसा न हुआ अक्तूबर तक आते-आते विद्रोह लगभग ख़त्म हो गया. पाइकों ने अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र के साथ गुरिल्ला युद्ध जारी रखा, जो 1825 तक चला. इस कथा के आधार पर लिखे गए उक्त ऐतिहासिक उपन्यास में ओडिशा की जातीय चेतना प्रेम, जनजीवन, जीवन दृष्टि आदि का मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया गया है.
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आज की किताबः 'अठारह सौ सत्रह'
लेखक: पंडित गोदावरीश मिश्र
अनुवाद: अरुण होता
विधा: उपन्यास
भाषा: हिंदी
प्रकाशक: साहित्य अकादेमी
पृष्ठ संख्या: 223
मूल्य: 250
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.