नंगी पीठ वाली लड़की भी ... Savita Singh का कविता-संग्रह 'अपने जैसा जीवन' | EP 869 | Sahitya Tak | Tak Live Video

नंगी पीठ वाली लड़की भी ... Savita Singh का कविता-संग्रह 'अपने जैसा जीवन' | EP 869 | Sahitya Tak

मैंने उस चित्र को उसी तरह समझा

जैसे समझना चाहती थी उसमें बैठी

नंगी पीठ वाली लड़की

कि जहां कहीं भी टांगी जाएगी यह तस्वीर

वहीं बना लेगी वह एक खिड़की

जब बाक़ी लोग देख रहे होंगे उसकी पीठ

वह देख रही होगी बाहर कोई दृश्य


मैंने उस चित्र को जब दोबारा देखा

उसमें मुझे कई और लड़कियां दिखीं

ढंके बांहों से कभी मुख कभी स्तन

ऐंठे उनके बदन पर थीं लेटी सर्प-सी उनकी नसें

दिखीं वे खुद इतनी बेचैन मानो

अब उठ खड़ी होंगी और निकल जायेंगी

अपनी-अपनी खिड़कियों से बाहर

मिल जायेंगी अपने-अपने दृश्यों में


बाद में और उस चित्र में सिर्फ़ खिड़कियां ही थीं

लड़कियां जा चुकी थीं

नंगी पीठ वाली लड़की भी कहीं नहीं थी

खिड़कियों से लगे लहराते पर्दे थे

नंगापन ढंकने को आतुर

जिसे झाड़ चुकी थी अब देह


*************


आज की किताबः 'अपने जैसा जीवन'

लेखक: सविता सिंह

भाषा: हिंदी

विधा: कविता

प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 104

मूल्य: 199

साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.