Indian माटी में पैदा हुई हसीनतम ज़बान Urdu की बदनसीबी, Prof Muzaffar Hanfi की 'हिन्दुस्तान उर्दू में' | Tak Live Video

Indian माटी में पैदा हुई हसीनतम ज़बान Urdu की बदनसीबी, Prof Muzaffar Hanfi की 'हिन्दुस्तान उर्दू में'



मैं जानती हूं जिस लिए आये हो तुम यहां

सबकी ख़ुशी यही है तो सहरा को हो रवां

लेकिन मैं अपने मुंह से न हरगिज़ करूंगी हां

किस तरह बन में आंखों के तारे को भेज दूं

जोगी बना के राज दुलारे को भेज दूं...

यह दशकों पहले उर्दू में छपी रामकथा का एक अंश है, जिसे हमने 'हिन्दुस्तान उर्दू में' पुस्तक से लिया है. यह प्रोफेसर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी की उर्दू शायरी, लेखों और ग़ज़लों का एक संकलन है, जिसमें हिंदुस्तान की असल छवि दिखाई देती है. हिंदुस्तान की सरज़मीं पर पैदा हुई और पली-बढ़ी दुनिया की हसीनतम ज़बान की बदनसीबी तो देखिए कि आज वह खास मज़हब से जोड़कर देखी जा रही है. फिरोज़ मुज़फ़्फ़र द्वारा अनूदित इस किताब पर शायर राहत इंदौरी, आलोक पुराणिक, जय नारायण कश्यप जैसे बड़े दानिशवरों ने अपनी राय दी है.

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आज की किताबः 'हिन्दुस्तान उर्दू में'

लेखक: प्रोफेसर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

अनुवादक: ई. फिरोज़ मुज़फ़्फ़र

भाषा: हिंदी

प्रकाशक: मरकज़ी प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 308

मूल्य: 400


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.