चांद आज भी उस औरत की प्रतीक्षा में है... Anuj Lugun | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak | Tak Live Video

चांद आज भी उस औरत की प्रतीक्षा में है... Anuj Lugun | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak

उस रात आसमान को एकटक ताक़ते हुए

वह जमीन पर अपने बच्चों

और पति के साथ लेटी हुई थी

उसने देखा आसमान

स्थिर, शांत और सूनेपन से भरा है

तब वह कुछ सोचकर

अपनी चूड़ियां, बालियां,

बिंदी और थोड़ा-सा काजल

उसके बदन पर टांक आई

और आसमान पहले से ज़्यादा सुंदर हो गया...कविता की यह पंक्तियां अनुज लुगुन के कविता- संग्रह 'अघोषित उलगुलान' में मौजूद औरत की प्रतीक्षा में चाँद कविता से ली गई हैं. इस संग्रह को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. कुल 166 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.