उस रात आसमान को एकटक ताक़ते हुए
वह जमीन पर अपने बच्चों
और पति के साथ लेटी हुई थी
उसने देखा आसमान
स्थिर, शांत और सूनेपन से भरा है
तब वह कुछ सोचकर
अपनी चूड़ियां, बालियां,
बिंदी और थोड़ा-सा काजल
उसके बदन पर टांक आई
और आसमान पहले से ज़्यादा सुंदर हो गया...कविता की यह पंक्तियां अनुज लुगुन के कविता- संग्रह 'अघोषित उलगुलान' में मौजूद औरत की प्रतीक्षा में चाँद कविता से ली गई हैं. इस संग्रह को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. कुल 166 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.