कवि जो विकास है मनुष्य का- Arun Kamal की सौ कविताओं पर एकाग्र | A Arvindakshan | Ep 771 | SahityaTak | Tak Live Video

कवि जो विकास है मनुष्य का- Arun Kamal की सौ कविताओं पर एकाग्र | A Arvindakshan | Ep 771 | SahityaTak

ओ मेरे बच्चे

अगर तू ज़िन्दा रहना चाहता है तो उस महान मौत को याद रख

अगर तू मौत को हराना चाहता है तो उस महान अमरता को याद रख

अगर तू अपने नाती-पोतों के साथ बूढ़ा होना चाहता है

तो उस बांकी हैट वाले नौजवान को याद रख

याद रख कि तेरी ज़िन्दगी उसी की बख्शीश है

और ये हवा उसका वरदान...

अरुण कमल समकालीन कविता के पुरोधा कवियों में एक ऐसा नाम हैं जिनके पास अनुभवजन्य यथार्थ का एक महाप्रदेश है. जिसे उन्होंने सदैव अपने आत्मीय दृष्टिपथ में संभालकर रखा है. जब हम समकालीन दौर की हिंदी कविताओं में से अरुण कमल की कविताओं का वाचन करते हैं तो हमें प्रतीत होता है कि एक बृहद् आकार जीवन के बहु-वर्णी सरोकारों से हमारा सामना हो रहा है. चौपाल के खुलेपन में बतियाते रहने का सा आभास उनकी कविताएं हमें प्रदान करती हैं. विषयवस्तु के चयन से लेकर उनके काव्योन्मुख विकल्पों तथा भाषिक रीतियों से हमें पता चलता है कि अरुण कमल के माध्यम से समकालीन हिंदी कविता अपनी सौन्दर्यात्मक सहजता का परिचय ही दे रही है.


****


आज की किताबः 'कवि जो विकास है मनुष्य का: अरुण कमल की सौ कविताओं पर एकाग्र'

लेखक: ए. अरविन्दाक्षन

भाषा: हिंदी

विधा: आलोचना

प्रकाशक: वाणी प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 327

मूल्य: 550 रुपए


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.