ज़िन्दगी गुनाह है एक सज़ा की आह है
जुल्म है और जुर्म है दर्द है कराह है -
पाप से बनी हुई पाप में सनी हुई
ज़िन्दगी की दोस्ती पाप से छनी हुई
मासूम बच्चे के जनम की वजह गुनाह है
मासूमियत और पाप में कैसा ये निबाह है
ज़िन्दगी गुनाह है एक सज़ा की आह है
भूख से लड़े ये तन रोग में पड़े ये तन
जितना कर लें हम जतन अंजाम इसका है पतन
कष्ट से शरीर ये दमदम-ब- तबाह है
फिर भी इस शरीर में एक अनबुझी सी चाह है
ज़िन्दगी गुनाह है एक सज़ा की आह है
जुल्म है और जुर्म है दर्द है कराह है
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आज की किताबः 'तपिश'
लेखक: रेहान अब्बास
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट
पृष्ठ संख्या: 104
मूल्य: 199 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए इस पुस्तक की चर्चा