जरा ठहरो कि शब फीकी बहुत है
तुम्हें घर जाने की जल्दी बहुत है
ज़रा नज़दीक आकर बैठ जाओ
तुम्हारे शहर में सर्दी बहुत है... शायर ज़ुबैर अली ताबिश की उम्दा शायरी सुनें साहित्य तक पर.