जब मुल्क में उन्माद
धुएं की तेज़ी से फैल रहा था
और हत्याएं
राष्ट्रीय गर्व का विषय बन चुकी थीं
उस वक़्त हम गोली की रफ़्तार से
अपनी हताशाओं में धंसते चले जा रहे थे...
और उधर
शाहे-वक़्त के दरबार में
जश्न का माहौल था
कि उसने बागियों का सिर
फिर से कुचल दिया था
ये एक ऐसा हादसा था कि हम
मक़तूल के जनाजे में शामिल होते हुए भी
दरबारी जश्न में ही शामिल थे...
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आज की किताबः 'नीली ब्याज़'
लेखक: अदनान कफ़ील दरवेश
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 159
मूल्य: 250
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.