चंद्रमा के समान प्रकाश नहीं.. Shaiv Philosophy | लल्लेश्वरी के वाख़ | Radhavallabh Tripathi | EP 980 | Tak Live Video

चंद्रमा के समान प्रकाश नहीं.. Shaiv Philosophy | लल्लेश्वरी के वाख़ | Radhavallabh Tripathi | EP 980

चंद्रमा के समान कोई प्रकाश नहीं

गंगा के समान नहीं कोई तीर्थ

बांधव के समान कोई मित्र नहीं

पत्नी के समान कोई सुख नहीं

उपयुक्त पंक्तियां 'लल्लेश्वरी के वाख़' से ली गई हैं. लल्लेश्वरी ने अपने समय के जीवन-दर्शन और अध्यात्म को लोकभाषा में जन-जन तक पहुंचाया. उनका संवाद अपने समय के सभी मतों के ज्ञानियों और अध्यात्म-गुरुओं से समान रूप से था. अपनी इस संवादशीलता के कारण वे कश्मीर की सामासिक संस्कृति का प्रतिनिध्य करती हैं. वे अपनी आध्यात्मिक अनुभूतियों के कारण अपने समय के समाज के हर वर्ग में पूज्य भी मानी गईं.

आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी द्वारा संपादित इस पुस्तक में लल्लेश्वरी के वाख़ का शब्दश: अनुवाद शामिल है, जिसका अनुवाद अद्वैतवादिनी कौल ने किया है. प्रत्येक वाख़ के साथ संपादक के द्वारा टिप्पणियां जोड़ी गई हैं.


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आज की किताबः लल्लेश्वरी के वाख़

संपादक: राधावल्लभ त्रिपाठी

भाषा: हिंदी

विधा: संचयन

प्रकाशक: साहित्य अकादेमी

पृष्ठ संख्या: 111

मूल्य: 150 रुपये


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.