पहले कुछ दिन तक तो जंगल की हवा रहता हूं मैं
फिर किसी खुशबू के कदमों में पड़ा रहता हूं मैं
एक मंज़र हूं कि जिस पर हैरतें कुर्बान हैं
देखने वालों को अक्सर देखता रहता हूं मैं... शायर अभिषेक शुक्ला के बेहतरीन शेर आप भी सुनिए सिर्फ़ साहित्य तक पर.