वो रोज़ शाम अपने संघर्षों की
कहानियां सुनाया करते थे......दुनिया में भारतीय भाषाओं के इस सबसे बड़े मेले साहित्य के महाकुम्भ 'साहित्य आज तक' कोलकाता में युवा कलाकारों के लिए 'माइक के लाल' मंच सजाया गया था. इसी महफ़िल में हमारे साथ जुड़ी थीं 'नेहा मंडल'. 'नेहा' ने इस प्रतिष्ठित मंच पर 'अपने दादा जी पर कविता' पढ़ सभी का दिल जीत लिया. इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी साहित्य तक के सभी डिजीटल मंच पर एक साथ किया गया था. 'साहित्य आजतक' कोलकाता में आयोजित साहित्य तक- माइक के लाल' के तहत ओपन माइक में पढ़ी गई उन रचनाओं को यहां भी प्रसारित किया जा रहा है. प्रतिभाओं को मंच दिलाने की साहित्य तक की इस मुहिम से जुड़े रहिए, और हर दिन यहीं, इसी वक्त सुनिए माइक के लाल की उम्दा प्रस्तुतियां.