जब-जब अमृता की बात होती है, इमरोज़ का जिक्र अपने-आप आ जाता है... इमरोज़ का नाम हमेशा अमृता के साथ ही लिया गया. अकेले इमरोज़ को न कभी जाना गया और न ही वे चाहते थे कि वे अकेले जाने जाएं. कुनाल हृदय का नाटक 'इमरोज़' एक कलाकार प्रेमी के जीवन के अदेखे पक्ष को अत्यंत प्रभावी ढंग से पेश करता है. अमृता प्रीतम और इमरोज़ के संबंधों की कहानी न तो अनजानी है, न ही अस्पष्ट. इस कहानी के सिरे साहिर लुधियानवी और अमृता से भी जुड़ते हैं. 'इमरोज़' में रिश्तों की एक बारीक गुत्थी खुलती है जो इनसानी स्वभाव के बेहद नाजुक लेकिन जरूरी पक्ष पर रोशनी डालती है.
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आज की किताबः इमरोज़
लेखक: कुनाल हृदय
भाषा: हिंदी
विधा: नाटक
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 136
मूल्य: 199 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.