खामोशी टूटेगी, आवाज़ का पत्थर भी तो हो
जिस कदर शोर है अंदर कभी बाहर भी तो हो...शायर अज़ीज़ नबील की बेहतरीन उर्दू शायरी सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर.