लेखक चंद्रशेखर वर्मा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पाप और पुण्य आज भी अस्तित्व में है. आज जब हम युवाओं से बात करते हैं तो हमें पाप और पुण्य की नई परिभाषा देखने को मिलती है. आज अलग तरह के पुण्य की बात होने लगी है. कभी कभी लोगों की अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. हमें खुद कुछ बनना पड़ेगा. आगे बढ़ना पड़ेगा...साहित्य सृजन में ज्ञान का कोई विकल्प नहीं है. हम ऐसा साहित्य रचें, जिससे युवा खुद को जोड़ सकें. बच्चे वो कंटेंट चुन रहे हैं, जो उन्हें परोसा जा रहा है...