सिनेमा का वो जादूगर, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी कला का परचम लहराया. भारत रत्न से सम्मानित सत्यजित राय की दूरगामी दृष्टि ने भारतीय सिनेमा को जो पहचान दिलाई वह असाधारण है. कल 'सत्यजित राय का अपूर्व संसार' खंड-1 पुस्तक में उनके जीवन और सिनेमा की बात हुई. आज 'सत्यजित राय का अपूर्व संसार' खंड-2 पुस्तक पर सत्यजित राय और उनके संसार पर और भी बारीकी से चर्चा हुई है.
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आज की किताबः 'सत्यजित राय का अपूर्व संसार: सृजन विमर्श खंड-02'
सम्पादन: विजय शर्मा
भाषा: हिंदी
प्रकाशक: पुस्तकनामा
पृष्ठ संख्या: 286
मूल्य: 480
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.