धर्म के नाम पर एक खास तरह के नशे की पुड़िया को उधेड़ता Nirmala Bhuradia का Novel 'ज़हरख़ुरानी' | Ep 753 | Tak Live Video

धर्म के नाम पर एक खास तरह के नशे की पुड़िया को उधेड़ता Nirmala Bhuradia का Novel 'ज़हरख़ुरानी' | Ep 753

"ना मैं मस्ज़िद, ना मंदिर जानू

नहीं वेद में; ना ही मैं पाक-किताब में

ना मैं अरबी, ना लाहौरी ना हिन्दू, ना तुर्क पेशावरी

बुल्ला की जाणा मैं कौन? बुल्ला क्या जानू मैं कौन?"

एक लोकेल विशेष से कथा को प्रारम्भ कर उपन्यासकार निर्मला भुराड़िया अपनी कथा-भाषा में यह सवाल पूरी गम्भीरता से खड़ा करती हैं कि राजनीति जब धर्म से जोड़ दी जाती है तो किस किस्म के खतरे दरपेश होने लगते हैं. यहां वर्तमान की कथा-प्रमेय को हल करने के लिए वह बड़ी खूबसूरती से वे अतीत का खनन करती हैं और वर्तमान के सम्मुख खड़े प्रश्नों के सटीक उत्तर खोजती हैं.


आज की किताबः 'ज़हरख़ुरानी'

लेखिका: निर्मला भुराड़िया

भाषा: हिंदी

विधा: उपन्यास

प्रकाशक: सामयिक प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 336

मूल्य: 595 रुपए


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की च्चा.