जब धूप खिलती है, हिमपात के बाद... Harendra Singh Aswal का संग्रह 'खेड़ाखाल' | EP 1045 | Sahitya Tak | Tak Live Video

जब धूप खिलती है, हिमपात के बाद... Harendra Singh Aswal का संग्रह 'खेड़ाखाल' | EP 1045 | Sahitya Tak

तुमने क्या खोया जोगी?

हमने अपने पराये खोये ।

बिन कांधे के घर बैठे ही मुसि-मुसि आंसू ढोये,

तुमने क्या खोया जोगी ?

सगे-संबंधी, न्यारे,

प्यारे जिनको गोद खिलाया ।

जिनको सेहरा बांध के हमने

विदा किया था हंसी खुशी,

कंधों पर जब विदा किया

तो कैसे दिल पर चोट पड़ी ?

भेष बनाओ ऋषि मुनियों का

राक्षस जैसा राज करो।

आत्मा रोज़ रूप बदल रही तुम

रोज़ दस दस सूट बदलना

तुमने क्या खोया जोगी ?

हमने अपने पराये खोये

बिन कांधे के घर में बैठे

मुसि-मुसि के बस आंसू ढोये... यह कविता हरेन्द्र सिंह असवाल के संग्रह 'खेड़ाखाल' से ली गयी है.


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आज की किताबः खेड़ाखाल

लेखक: हरेन्द्र सिंह असवाल

भाषा: हिंदी

विधा: कविता

प्रकाशक: स्वराज प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 138

मूल्य: 450 रुपये


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए इस पुस्तक की चर्चा.