जब तू कट्टी हो जाती है... Hemant Deolekar की 'हमारी उम्र का कपास' | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak | Tak Live Video

जब तू कट्टी हो जाती है... Hemant Deolekar की 'हमारी उम्र का कपास' | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak



तेरी हंसी को सुन:

मिट्टी और उतावली

मौसम- बेमौसम

कुछ भी उगा देने को,

तालाब और मछलीदार,

खिड़की और हवादार,

टहनियां और चिड़ियादार


तेरी हंसी को सुन:

खिलौने और नई उधेड़बुन में

किन नये- नये तरीकों से तुझे हंसाया जाए

फिरकनियां और चक्करदार,

गेंद और टप्पेदार,

गुल्लक और सिक्केदार... यह पंक्तियां हेमंत देवलेकर के कविता- संग्रह 'हमारी उम्र का कपास' से ली गई हैं. इस संग्रह को राजकमल प्रकाशन के सहयोगी उपक्रम राधाकृष्ण पेपरबैक्स ने प्रकाशित किया है. कुल 133 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.