क़ातिल को आराम कहां होता है!.. उसे क़त्ल करने होते हैं, सबूत मिटाने होते हैं और फिर अगले शिकार के तलाश में निकल जाना होता है.सत्य व्यास समकालीन पीढ़ी के बेहद लोकप्रिय और प्रतिनिधि लेखक हैं और साथ ही उनकी किताबें लगातार बेस्ट सेलर सूची में
बनी रहती हैं. खास बात ये है कि उनकी लिखी किताब 'चौरासी' पर 'ग्रहण' की फ़िल्म बनी और लोकप्रिय भी रही. फिल्म बनने के साथ ही उनकी लिखी शॉर्ट फिल्म 'तुम्हारे बिना' बुसान और टैगोर फिल्म फेस्टिवल में चयनित भी हो चुकी है. ये कहानी भी काफी दिलचस्प है जिसमें हुसैनगंज पुलिस को क्रिस्तानी कब्रिस्तान के बाहर एक लाश मिली है और रेलवे पुलिस को मंडावली रेलवे ट्रैक पर दूसरी लाश. क़ातिल आला दर्जे का शातिर है, और वो दो अलग-अलग दायरे में काम करनेवाली पुलिस को आपस में उलझा देता है. अब समस्या केवल यही नहीं है, यह भी है कि एक लाश के साथ तीन हाथ है.
कौन मजलूम है और कौन मुजरिम !
कौन मक़तूल है और कौन क़ातिल !
अगर आप यह केस इंस्पेक्टर नकुल से पहले सुलझा पाते हैं तो सबसे पहले अपने दिमाग को ही शक के दायरे में खड़ा करें, क्योंकि फिर आप भी क़ातिल की तरह ही सोचते हैं.
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आज की किताबः ‘मौत बुलाती है’
लेखक: सत्य व्यास
विधा:
भाषा: हिंदी
प्रकाशक: युवान बुक्स
पृष्ठ संख्या: 180
मूल्य: 249 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए इस पुस्तक की चर्चा.