जहां आप पहुंचे छ्लांगे लगाकर, वहां मैं भी पहुंचा मगर धीरे-धीरे...Prof Ramdarash Mishra Poetry | Tak Live Video

जहां आप पहुंचे छ्लांगे लगाकर, वहां मैं भी पहुंचा मगर धीरे-धीरे...Prof Ramdarash Mishra Poetry

बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे,

खुले मेरे ख़्वाबों के पर धीरे-धीरे


किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,

कटा ज़िंदगी का सफ़र धीरे-धीरे

जहां आप पहुंचे छ्लांगे लगाकर,

वहां मैं भी पहुंचा मगर धीरे-धीरे...वरिष्ठ साहित्यकार प्रो रामदरश मिश्र बेहतरीन कविताएं सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर.