* कैसा था आचार्य प्रशांत का बचपन?
* 20 साल के लड़के और 80 साल के बुज़ुर्ग के दुख में क्या समानताएं हैं* आपके अपने करियर के दौरान कौन-सी चुनौतियां आईं?
* आपके कर्म का उद्देश्य क्या है?
* अध्यात्म और धर्म को आप कैसा मानते हैं?
* दुनिया में धर्म, जाति, सम्प्रदाय के नाम पर इतने विभेद क्यों हैं?
* व्यक्ति को शाकाहारी होना चाहिए या मांसाहारी?
* आचार्य प्रशांत पर आचार्य रजनीश का कितना प्रभाव है?
कौन हैं आचार्य प्रशांत, जो करोड़ों लोगों को अपने संदेशों से प्रभावित कर रहे हैं. 21वीं सदी में युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन और आध्यात्मिकता की ओर ले जाने में आचार्य प्रशांत की कहानी बहुत अलग है. जहां एक ओर लोग पैसा, घर, शादी और फिर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद आराम करने के सपने देखते हैं, वहीं अपने जीवन में बेहद सरल और शांत दिखने वाले प्रशांत त्रिपाठी ने आईआईटी-आईआईएम की शिक्षा हासिल करने के बाद भी अपने को अध्यात्म से जोड़ दिया. आज करोड़ों लोग उनको सुनना भी चाहते हैं. इसीलिए आज साहित्य तक के विशेष कार्यक्रम 'बातें- मुलाकातें' में कई पुस्तकों के रचनाकार आचार्य प्रशांत से अध्यात्म, शाकाहार, मांसाहार, मोक्ष, धूमिल, कबीर और जाति जैसे विभिन्न विषयों पर खुल कर बातें हुईं. इस बीच उन्होंने जीवन, धर्म, मोक्ष, भय, दुख, धन, करियर आदि सवालों पर भी अपना नज़रिया सामने रखा है. आखिर आचार्य प्रशांत के साथ ऐसा क्या हुआ कि वह प्रशांत त्रिपाठी से आचार्य प्रशांत बन गए? आचार्य प्रशांत संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की 'बातें- मुलाकातें' कार्यक्रम में हुई यह बातचीत, उनके जीवन और विचारों को लेकर बहुत कुछ ऐसा बताती है, जिसे अब से पहले आपने सुना नहीं होगा.?