Subhas Chandra Bose ने क्यों लगाई राजनीतिक छवि दांव पर? Chandrachur Ghose की ‘सुभाष बाबू’ | EP-791 | Tak Live Video

Subhas Chandra Bose ने क्यों लगाई राजनीतिक छवि दांव पर? Chandrachur Ghose की ‘सुभाष बाबू’ | EP-791



आम लोग सुभाष चंद्र बोस के गांधी से मतभेद और जर्मनी व जापान की मदद से द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत को आज़ाद करवाने के प्रयासों के बारे में जानते हैं. लेकिन अब जो सूचनाएं सामने आ रही हैं, वो बताती हैं कि उनके देश भर के क्रांतिकारियों से कैसे संबंध थे और अध्यात्म और खुफिया मिशनों से उनको कितना लगाव था. साथ ही, उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सेना में विद्रोह पैदा करवाने के क्या-क्या प्रयास किए थे.

प्रश्न यह है कि क्या बोस वाकई नाजियों से सहानुभूति रखते थे? उन्होंने अपनी राजनीतिक छवि दांव पर क्यों लगाई? ऐसे ही कई सवालों के जवाब सुभाष बाबू नाम की यह पुस्तक देती है.


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आज की किताबः ‘सुभाष बाबू: एक असहज करने वाले राष्ट्रवादी की अनकही कहानी’

मूल किताब: 'Conundrum: Subhas Bose's Life after Death'

लेखक: चंद्रचूड़ घोष

अनुवाद: संदीप जोशी

भाषा: हिंदी

विधा: जीवनी-संस्मरण

प्रकाशक: हिंद पॉकेट बुक्स

पृष्ठ संख्या: 718

मूल्य: 699 रुपए


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.