श्री राम मनुष्य थे या भगवान?
उन्हें क्यों नहीं याद थीं अपने अवतार की बात?
श्रीराम के जीवन में चमत्कार क्यों नहीं दिखता?
क्या हम अवतारी श्रीराम के चक्कार में मनुष्य के रूप में राजा राम को भूल गए हैं?
श्री राम द्वारा शम्बूक को मारने की वजह क्या थी? जिसके चलते उनकी आज तक आलोचना होती है?
रावण को मारने के लिए श्री हरि को मनुष्य के रूप में ही अवतार लेने की जरूरत क्यों पड़ी?
श्री राम में भी थे 16 गुण, ये गुण कौन से हैं?
क्या राम कई युगों में अवतरित हुए?
श्री राम के जन्म की असली तारीख क्या है?
क्या है 'जय श्री राम' नारे का असली मतलब?
इन और ऐसे ही कई सवालों पर अपनी राय के साथ हमारे खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' में आज साहित्य तक स्टूडियो में उपस्थित हैं 'Rama- A Man of Dharma: A Retelling of Valmiki's Ramayana' की लेखिका प्रिया अरोरा.
रामायण हजारों साल पुरानी है, फिर भी इसमें जीवन के ऐसे सबक भरे पड़े हैं जो आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक हैं. श्री राम के जीवन की यह गाथा हमें मानव के रूप में जन्म के साथ आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए साहस और धैर्य सिखाती है. रामायण पढ़ने से नेतृत्व, सहनशीलता, वफादारी, सम्मान, समानता, क्षमा, विनम्रता और सबसे बढ़कर निःस्वार्थता जैसे मूल्य पैदा होते हैं. राम सनातन धर्म का उदाहरण देते हैं, जो सचेत निःस्वार्थ कर्म के जरिए आत्मज्ञान का मार्ग बतलाता है. उनका जीवन यह सीख देता है कि कैसे त्याग करके नहीं बल्कि जीवन में पूरी तरह से शामिल होकर, अपने विकल्पों की शुद्धता के जरिए दुःखों से मुक्ति पाई जा सकती है.
वाल्मीकि रामायण का यह पुनर्कथन अंग्रेजी भाषियों के लिए एक आकर्षक पाठ है. प्रिया अरोरा की Rama- A Man of Dharma: A Retelling of Valmiki's Ramayana' हमारे प्राचीन संस्कृत महाकाव्य के मूल उद्देश्य को कम किए बिना स्पष्ट रूप से अंग्रेजी में जीवंत करता है. इस पुस्तक को वैदिक जीवन की विशेषता, राम के वंशजों का उल्लेख, राम राज्य का मानचित्र आदि भी विशेष बनाता है. Penguin Random House से प्रकाशित Priya Arora की 'Rama: A Man of Dharma' पुस्तक के कुल पृष्ठों की संख्या 520 है, और इसके पेपरबैक्स संस्करण का मूल्य है 799 रुपये. तो सुनिए प्रिया अरोरा संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह बातचीत.