रामदेव शुक्ल इस उपन्यास की शुरुआत इस प्रकार करते हैं कि पश्चिम का एक शोधार्थी भारतीय जीवन दर्शन पर शोध करने के लिए अपने गुरु की चिट्ठी लेकर भारत आता है. वह कहता है कि वह किताबों से जितना समझ सका, उससे उसे संतोष नहीं मिला, इसलिए उसके गाइड ने उसे भारत जाकर भ्रमण करने और समझने के लिए कहा है. इसी तरह यह उपन्यास आगे बढ़ते हुए बहुत ही रोचकता से पश्चिमी समाज के ढहते और भारतीय उपमहाद्वीप के आध्यात्मिक, संतोषी समाज में अंतर स्पष्ट करता है. 'ऑस्टिन की गुरु-यात्रा' बताती है कि भौतिक विज्ञान की शक्ति से पृथ्वी को विनाश की ओर ले जाने वाला पश्चिम अब एशिया में गुरु की तलाश क्यों कर रहा है?
***
आज की किताबः ऑस्टिन की गुरु-यात्रा
लेखक: रामदेव शुक्ल
भाषा: हिंदी
विधा: उपन्यास
प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट
पृष्ठ संख्या: 240
मूल्य: मूल्य: 299 (अजिल्द) | 449 (सजिल्द)
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.