हम सभी को नारीवादी क्यों होना चाहिए? Chimamanda Ngozi Adichie की दास्तां | औरतनामा | Shruti Agarwal | Tak Live Video

हम सभी को नारीवादी क्यों होना चाहिए? Chimamanda Ngozi Adichie की दास्तां | औरतनामा | Shruti Agarwal

'औरतनामा' में आज उस युवा महिला लेखिका की किस्सागोई हो रही है, जिन्होंने अपने देश को गृहयुद्ध में फंसा देखा, जिनके दादा की मृत्यु एक शरणार्थी शिविर में हुई फिर भी वह डटी रहीं. आज बात हो रही है नाईजीरिया मूल की लेखिका चिमामांडा न्गोजी एडिची की. यूं एडिची, डॉक्टर बन समाज की सेवा करना चाहती थीं लेकिन मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हुए उन्हें अहसास हुआ कि नाईजीरियन लोगों की आवाज पूरी दुनिया तक पहुंचनी चाहिए. उनकी आवाज आगे पहुंचे इसके लिए उन्होंने कलम का सहारा लिया. महज दस वर्ष की उम्र में एडिची ने नाइजीरियन लेखक चिनुआ अचेबे का उपन्यास 'थिंग्स फॉल अपार्ट' पढ़ा था. एडिची कहती हैं इस उपन्यास को पढ़ने के बाद उन्हें लगा कि जो लोग उनकी तरह दिखते हैं, वे किताबों में भी रह सकते हैं और उन्होंने लिखना शुरु किया. उन्होंने कई कविताएं, लघु- कथाएं लिखीं और साथ ही उपन्यास भी लिखे. 2010 में एडिची को न्यूयॉर्क के 20 अंडर 40 फिक्शन अंक के लेखकों में सूचीबद्ध किया गया था. तो वहीं 2017 में एडिची को अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंसेज के 228 नए सदस्यों में से एक भी चुना गया. उन्हें PEN पिंटर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. उनके हिस्से में येल , एडिनबर्ग, पेंसिल्वेनिया, ड्यूक जैसी लगभग 16 विश्वविद्यालयों की मानद डॉक्टरेड की उपाधियां भी हैं. लेखन और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में उनका काम निरंतर जारी है.


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ये वे लेखिकाएं हैं, जिन्होंने न केवल लेखन जगत को प्रभावित किया, बल्कि अपने विचारों से समूची नारी जाति को एक दिशा दी. आज का युवा वर्ग कलम की इन वीरांगनाओं को जान सके और लड़कियां उनकी जीवनी, आजाद ख्याली के बारे में जान सकें, इसके लिए चर्चित अनुवादक, लेखिका, पत्रकार और समाजसेवी श्रुति अग्रवाल ने 'साहित्य तक' पर 'औरतनामा' के तहत यह साप्ताहिक कड़ी शुरू की है. आज इस कड़ी में श्रुति 'चिमामांडा न्गोजी एडिची' के जीवन और लेखन की कहानी बता रही हैं. 'औरतनामा' देश और दुनिया की उन लेखिकाओं को समर्पित है, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल इतिहास रचा बल्कि अपने जीवन से भी समाज और समय को दिशा दी.