इश्क़ करोगे, पागल हो क्या? Surendra Chaturvedi की 'उदासी का कोई चेहरा नहीं था' | Sanjeev Paliwal | Tak Live Video

इश्क़ करोगे, पागल हो क्या? Surendra Chaturvedi की 'उदासी का कोई चेहरा नहीं था' | Sanjeev Paliwal

तलवारों से दूर रहा

दरबारों से दूर रहा


अपना ज़र्फ़ बचाने को

अखबारों से दूर रहा


क़िस्से में थी मौत लिखी

किरदारों से दूर रहा


लड़ते समय ग़द्दारों से

मैं यारों से दूर रहा


मुझसे सियासत दूर रही

मैं नारों से दूर रहा


मुझे बसाना था इक घर

बंजारों से दूर रहा


ढलती धूप का वादा था

दीवारों से दूर रहा


सिर्फ़ अना के कहने पर

बाज़ारों से दूर रहा...यह ग़ज़ल सुरेन्द्र चतुर्वेदी के ग़ज़ल- संग्रह 'उदासी का कोई चेहरा नहीं था' से ली गई है, जिसका संपादन ओम निश्चल ने किया. इस संग्रह को सर्वभाषा ट्रस्ट ने 'सर्वभाषा ग़ज़ल सीरीज़' के तहत प्रकाशित किया है. कुल 112 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा ग़ज़लें सिर्फ़ साहित्य तक पर.