- पं नेहरू और मोदी में क्या समानता?
- हम सबको हमेशा मसीहा की तलाश क्यों?
- हमने इतिहास से क्या कुछ सीखा?
- भाग्यवाद को इतनी महत्वता क्यों?
- राजनीतिक किताब लिखने के क्या खतरे हैं?
- राज्यसभा में कलाकारों की भागीदारी कैसी?
इन सभी सवालों पर बेबाकी से जवाब देने के लिए आज साहित्य तक के खास कार्यक्रम 'बातें-मुलाकातें' में हमारे साथ वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार, लेखक और ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन के विज़िटिंग फेलो रशीद किदवई मौजूद हैं. रशीद किदवई का नाम पत्रकारिता जगत में नया नहीं है. लगभग 3 दशक से अधिक समय से राजनीतिक उठा-पटक को करीब से देखने और कवर करने वाले रशीद का लेखन की क्षेत्र में भी बहुत अहम योगदान रहा है. भारतीय राजनीति पर गहरी पकड़ रखने के साथ- साथ उसे किताबी शक्ल देने की कला आप में बखूबी है. आप लम्बे समय तक 'द टेलीग्राफ़' से जुड़े रहे और अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू के कई अखबारों में निरंतर काॅलम लिख रहे हैं. आपकी महत्त्वपूर्ण किताबों में '24 अकबर रोड', 'Sonia: A Biography', 'Ballot', 'नेता- अभिनेता', 'The House of Scindias', 'Leaders, Politicians, Citizens' और हाल ही में प्रकाशित 'The Scam That Shook a Nation' शामिल हैं. ये पुस्तकें Hachette India, Harper Collins, राजकमल प्रकाशन एवं अन्य प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित हैं. चर्चा के दौरान रशीद किदवई ने पं नेहरू की दूरदर्शिता, सोनिया गांधी की राजनीति, राजीव गांधी का दौर, कांग्रेस की अंदरूनी बातें और वर्तमान में नरेन्द्र मोदी की पाॅलिटिक्स पर खुलकर अपनी बात रखी है. रशीद ने अपनी पुस्तकों के बहाने वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय संग हुई इस चर्चा में क्या कुछ बताया, सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर.