तुमने कहा था मुझे
पिछले बरस
एक रोज़
कि अबकी बरस
जब मैं आऊंगा
तो फिर
तुम कह सकोगी
कि मैं
बस तुम्हारा ही हूं
तुम्हारे लिए ही
जीता और मरता हूं
बस थोड़े से दिन काट लो
यह वक्त यह पल
ज़रा गुज़र जाने दो
तुम थोड़ा सा इंतज़ार कर लो
मैं तुम्हारा ही हूं...
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आज की किताबः 'यूं तो सब कुछ पूर्ववत् है'
लेखक: हेमा दीक्षित
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: लोकभारती पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 151
मूल्य: 299
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा