प्राण से ज़्यादा प्रिय जिनको रहा अपना वतन है
राष्ट्र का उत्थान रहा जिनका अंतिम स्वप्न है
प्राण दीपक दे गए जो राष्ट्र की आराधना में
उन शहीदों को हमारे कोटि शत पावन नमन हैं...विनीत चौहान की देशभक्ति कविता सुनकर हो जाएगा सीना चौड़ा. आप भी सुनें सिर्फ साहित्य तक पर.