जानें महापर्व 'छठ' से जुड़ी लोक
कथाएं और मान्यताएं!

लोक आस्था का महापर्व 'छठ' हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इसके पीछे कई मान्यताएं हैं.

एक मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की तभी से छठ मनाने की परंपरा चली आ रही है. 

एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है. 

एक और मान्यता के अनुसार छठ की शुरुआत महाभारत काल में हुई और सबसे पहले
सूर्यपुत्र कर्ण ने यह पूजा की.

कर्ण अंग प्रदेश यानी वर्तमान बिहार के भागलपुर के राजा थे. वो घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे और इन्हीं की कृपा से वो परम योद्धा बने.

महाभारत काल में ही पांडवों की भार्या द्रौपदी के भी सूर्य उपासना करने का उल्लेख है जो अपने परिजनों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए नियमित रूप से यह पूजा करती थीं.

व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है.

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