श्रद्धा मर्डर केस में आफताब के पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट की अनुमति मिली. जानिए पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट में क्या है अंतर? 

श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस में आफताब पूनावाला आरोपी है. दिल्ली पुलिस को आफताब के पॉलीग्राफ और नार्को एनालिसिस टेस्ट की अनुमति मिल चुकी है. 

बता दें, पॉलीग्राफ हो या नार्को टेस्ट दोनों ही करवाने के लिए भारत में अदालत से अनुमति लेनी होती है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एक या दोनों ही टेस्ट कराए जाते हैं.

पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान आफताब से सवालों के जवाब पूछे जाएंगे. ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, पल्स रेट या हाथ-पैर के मूवमेंट से पता किया जाएगा
 कि वो सच बोल रहा है या नहीं. 

पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान मशीन के चार या छह प्वाइंट्स को इंसान के सीने, उंगलियों से जोड़ दिया जाता है. फिर उससे पहले कुछ सामान्य सवाल पूछे जाते हैं. इसके बाद उससे अपराध से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं. 

नार्को टेस्ट में इंसान के शरीर में सोडियम पेंटोथाल नाम का ड्रग एक सीमित मात्रा में डॉक्टरों की देखरेख में डाला जाता है. इसे ट्रुथ सीरम (Truth Serum) भी कहते हैं. 

ये दवा शरीर में जाते ही इंसान को आधी बेहोशी में ले आता है. वह सही गलत का फैसला नहीं कर पाता. वह सिर्फ वहीं बात बोलता है,
 जो उसे सच लगता है. या उसकी याद्दाश्त में
सच के रूप में बैठा है.

दोनों टेस्ट जरूरी नहीं है कि 100 फीसदी सही हो. टेस्ट के दौरान साइकोलॉजिस्ट के साथ
 जांच अधिकारी या फोरेंसिक एक्सपर्ट को
 बिठाया जाता है.

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